गर्भवती महिलाएं एनीमिया से रहें सावधान, नियमित रूप से कराएं जांच : सीएचओ

गर्भवती महिलाएं एनीमिया से रहें सावधान, नियमित रूप से कराएं जांच : सीएचओ

 सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों पर हर माह की ९वीं तारिख को होती है एएनसी जांच

एनीमिया से बचने के लिए गर्भवतियों को दिए जाते हैं पौष्टिक आहार के टिप्स 

के टी न्यूज/बक्सर जिले में पोषण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए भले ही पोषण माह चलाया जा रहा है। लेकिन, जब तक लोग पोषण के सही मायनों को नहीं समझेंगे, यह अभियान पूरी तरह से सफल नहीं होगा। आज के दौर में एनीमिया पोषण की राह में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है। जिसके कारण बच्चे, किशोरियां और गर्भवती महिलाएं खून की कमी का शिकार हो रही  हैं। एनीमिया की बीमारी शरीर में खून या हीमोग्लोबिन की कमी की वजह से होती है। इससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती और व्यक्ति कमजोर होने लगता है। यह बीमारी काफी आम हो चुकी है। महिलाओं को इसका सबसे ज्यादा सामना करना पड़ता है। एनीमिया की समस्या अस्थायी भी हो सकती और यह लंबे समय तक भी चल सकती है। हालांकि, एनीमिया (खून की कमी) से बचाव किया जा सकता है। खान-पान पर ध्यान देकर, इस बीमारी से बचा जा सकता है। 

एनीमिया में नया खून बनना हो जाता है बाधित :

सदर प्रखंड के पांडेयपट्‌टी स्थित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की सीएचओ श्वेता सिंह ने बताया, हमारे खून में रेड ब्लड सेल्स होती हैं, जिसे आरबीसी  भी कहा जाता है। यह सेल्स शरीर में मौजूद सभी टिश्यू (ऊतकों) तक ऑक्सीजन ले जाने का काम करती है। जब शरीर में आरबीसी की मात्रा कम होने लगती है तो शरीर में ऑक्सीजन भी घटने लगती है और नया खून बनना बाधित हो जाता है। इसी समस्या को खून की कमी या एनीमिया कहा जाता है। खान-पान और जीवनशैली में बदलाव लाकर इस बीमारी से आसानी से हम अपना बचाव कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि चक्कर आना, हाथ व पैर में ठंड लगना, त्वचा का पीला पड़ना, छाती में दर्द होना, सांस लेने में परेशानी होना और दिल की धड़कन का ठीक से काम नहीं करना, थकान, कमजोरी इत्यादि एनीमिया के लक्षण हैं। अगर ऐसा महसूस हो तो तत्काल चिकित्सक से संपर्क करें और उनके परामर्श के अनुसार दिनचर्या बनाएं ।

गर्भवतियों के लिए नियमित एएनसी जांच जरूरी :

सीएचओ श्वेता सिंह ने बताया, वैसे तो एनीमिया किसी को भी प्रभावित कर सकता है। लेकिन, गर्भवतियों के लिए यह बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि एनीमिया न केवल गर्भवती महिलाओं को बल्कि उनके गर्भस्थ  शिशु को भी बुरी तरह से प्रभावित करता है। यदि कोई गर्भवती महिला एनीमिया से प्रभावित हो जाती है, तो खून की कमी के कारण बच्चों का शरीरिक और मानसिक विकास ठीक से नहीं हो पाता है। जिसके कारण प्रसव के बाद बच्चे कमजोर व बीमार होते हैं। ऐसी स्थिति न उत्पन्न हो इसके लिए गर्भवती महिलाओं को चाहिए कि वो नियमित रूप से अपना प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) कराएं। ताकि, एनीमिया की शिकायत की स्थिति में उसे दूर करने के उपाय किए जा सकें।

आयरनयुक्त आहार लेने की सलाह दी जाती है :

वहीं, पांडेयपट्‌टी की आशा नीतू देवी ने बताया कि एनीमिया से बचाव के लिए गर्भवती महिलाओं की नियमित फॉलोअप किया जाता है। साथ ही, एएनसी जांच के लिए उनको हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर भी लाया जाता है। यदि किसी में एनीमिया के लक्षण दिखाई देते हैं, तो उन्हें इससे बचाव के लिए विस्तृत जानकारी दी जाती है। गर्भवती महिलाओं को आयरन युक्त आहार लेने की सलाह दी जाती है। उन्हें बताया जाता है कि खाना में पालक, सोयाबीन, चुकंदर, अनार व हरी सब्जियों को शामिल करें। इसके अलावा दूध, घी, मांस, मछली भी काफी असरदार है। फल में अनार का सेवन इसमें बहुत ही फायदेमंद रहता है। साथ ही चुकंदर भी बहुत फायदा पहुंचाता है। जो लोग मांस-मछली नहीं खाते हैं, वे लोग फल, दूध और हरी सब्जियों पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी जाती है।